जखनियाँ। उत्तर प्रदेश शासन के आदेश निर्देश के बावजूद जखनियाँ विकास खण्ड में कुच्छ यैसे गांव और उस गांव में तैनात कर्मचारी है जो सभी नियम कानून को ताक पर रखकर सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का बंदरबांट करते हैं
उन्हें यह तक खौफ नहीं होता है कि कभी भविष्य में यदि इसकी जांच हुई तो वर्तमान में जो शासन की मंशा है और जो भ्रष्टाचारियों के ऊपर माननीय मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी की बोल्डोजर की कार्रवाई हो रही है
उससे हम कतई नहीं बच सकते हैं यह सब कुछ जानते हुए भी भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर योजनाओं का लाभ मोटी रकम की लालच में प्रधान और सचिव बांटते फिरते हैं कुछ मामला इसी तरह का जखनिया विकासखंड के हुसनपुर गांव का है जहां 2 मंजिला इमारत पहले से ही बनी है
और एक ही परिवार में दो से तीन आवास दे दिया गया है और उन लाभार्थियों से पूछे जाने पर उनका साफ कहना है कि प्रधान जी ने हमसे अंगूठा लगवा कर अपना कमीशन ले लिया है
अब हमारी जब इच्छा करेगी हम बनाएंगे वहीं कुछ लाभार्थियों का कहना है कि यदि 20 की बजाए 40 दे दिया जाएगा तो बनाना भी नहीं पड़ेगा अब सोचने की बात यह है कि जिस ग्राम सभा में कुछ ऐसे दलित और हर जाति हर समुदाय के लोग हैं
जिनके सर पर रहने के लिए टिन सेट तो छोड़िए जर्जर छप्पर का सहारा भी नहीं है और मिट्टी की दीवाल है वह पात्र नहीं है लेकिन जिनका 2 मंजिला इमारत चमक रही है उनके घर दो-दो आवास दिया गया और टीन सेट वाले को अपात्र बनाकर काट दिया गया है अब सोचने की बात यह है
कि क्या इस गांव में जो सरकार की तरफ से त्रिस्तरीय आवास को लेकर जाँच हुई थी इस गांव में वह आई ही न हो और आई भी हो तो हर घर से हर लाभार्थी से मोटी रकम ली हो या फिर उन्हें यह डर न हो की सरकार हमारी क्या कर लेगी ,या कहीं यैसा तो नही की शासन के गलियारे में या तो उनकी अच्छी पकड़ है या फिर अपने आप में वह बाहुबली हैं
जिसकी वजह से सरकार की वह महत्वपूर्ण योजना जिसके तहत सरकार यह वादा करें कि हर गरीब के सर पर माननीय प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छत होगी हर गरीब पात्र व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा आखिर इस योजना और वादा को किस तरह से सफल बनाया जा सकेगा यह हर किसी को सोचने पर मजबूर करता है
वहीं ही कुछ लाभार्थियों का कहना है कि जब योजनाओं के अंतिम कड़ी के व्यक्ति प्रधान महोदय ही लूटेरा बन जाएंगे तो योजनाओं के लाभार्थी को लूटने से कौन बचाएगा क्योंकि प्रधान जी कुछ लाभार्थियों को तो बगैर बताए अंगूठा लगवा कर उनके खाते से अपना कमीशन निकाल लिए हैं
और लाभार्थी को पता तक नहीं है अब सोचने की बात कुछ यह भी है कि जहां बैंक के कर्मचारी एक अंक गलत होने पर भी खुद उपभोक्ता को वापस कर देते हैं ऐसे में ऐसे दलाल और भ्रष्टाचारियों को मशीन लगाकर स्विप मशीन और बैंक की आईडी कैसे मिल जाती है
जिससे वह मनरेगा का पैसा, वृद्धा पेंशन का पैसा ,आवास में कमीशन का पैसा ,और यहां तक शिकायत मिलती है कि खुद खाते में जमा धनराशि भी किसी किसी का निकल जाता है लेकिन बैंक कर्मचारी अपना पल्ला झाड़ते फिरते हैं
कि आपने खुद पैसा उतारा है उसकी जिम्मेदारी आपकी है क्या ऐसे कृतियों पर प्रशासनिक अधिकारी और बैंक के उच्च अधिकारियों को संज्ञान नहीं लेना चाहिए कितनी ऐसी फर्जी आईडी पर ग्राम प्रधान के गुर्गों द्वारा पैसा निकाला जा रहा है यह मिलान और जांच का विषय है कि किस आईडी से ज्यादातर मनरेगा का पैसा निकाला जा रहा है जिस आईडी से भारत सरकार के महत्वपूर्ण योजनाओं का ही केवल लेन-देन हो रहा है इसका जिम्मेदार कौन है यह जाँच का विषय है ।