कुछ चरवाहे अपनी गायों को चराने के लिए इसी जंगल में लेकर रोजाना आया करते थे। एक गाय नित्य शाम के समय जब चरवाहे अपनी गायों को लेकर घर के लिए वापस होते थे उसी समय झुण्ड से अलग निकल कर एक निश्चित स्थान पर आकर खडी हो जाती थी और उसके थन से दूध स्वत: उस निर्धारित स्थान पर गिरने लगता था।
यह क्रम नियम से चलता रहा तो चरवाहे को शंका हो गया कि आखिर में दिन भर चराने के बाद भी मेरी गाय दूध क्यों नहीं दे रही है। उसने अपने उस गाय पर नजर रखना शुरू कर दिया।
रोज कि तरह गाय चराने के बाद जब वापसी का समय हुवा तो वह गाय धीरे से पुन:अन्य गायों का साथ छोड कर उसी स्थान पर आ गयी और पुन; उसके थन से दूध अपने आप वहां पर जमीन पर गिरने लगा।
चरवाहे ने यह जानकारी गांव वालों को दी।सभी गांव वालो ने उस स्थान की सफाई करने के बाद खुदाई की तो भगवान भोले नाथ का यह दिब्य एवम अत्यंत ही दुर्लभ शिव लिंग दिखाई दिया जिसका निचला सिरा कितना निचे तक है किसी को नहीं पता है।
जब लोगों ने खुदाई करके इस शिवलिंग को जमीन से निकालना चाहा तो यह शिवलिंग अपने आप नीचे की तरफ धसने लगा परिणाम स्वरूप लोगों ने खुदाई बन्द कर दर्शन पूजन का कार्य प्रारम्भ कर दिया।
एक बार कुछ लोग इस शिवलिंग को नुकशान पहूंचाने की नियत से यहां आये और प्रयास किये उन सभी की आखों की रोशनी गायब हो गयी थी वह लोग रात भर एक ही स्थान पर चक्कर लगाते रहे।
सुबह हो गयी उन सभी ने अन्त में बाबा के दरबार में आकर अपने इस गुनाह के लिए माफी मांगा तो बाबा नागेश्वर की कृपा से उनके नेत्रो की रोशनी पुन: वापस आ गयी।
मुगल काल में औरंगजेब के समय जब मुगल सैनिको द्वारा हिंन्दू मंदिरो को तोडा जा रहा था उस समय बाबा नागेश्वर नाथ की प्रसिद्धि दूर दूर तक फैल रही थी नागेश्वर नाथ की प्रसिद्धि सुनकर इस शिवलिंग को भी तोडने का प्रयास किया गया।
लेकिन नाकामयाब रहे।आज भी इस दुर्लभ शिव लिंग पर उनके द्वारा किये गये प्रहार का निशान साफ साफ दिखता है। अयोध्या से बक्सर जाते समय महर्षि बिश्वामित्र के साथ भगवान राम लक्ष्मण लखनेश्वर डीह की स्थापना के बाद यहां से होकर के ही कष्ट हरणी धाम व कामेश्वर धाम कारो में रात्रि बिश्राम कर बक्सर पहूंचे थे।
बाबा नागेश्वरनाथ के पिछे एक सुन्दर पोखरा है। जिसमें पक्के घाट बने है। भव्य गेट एवम यहां का शान्त व हरा भरा वातावरण हर आने वाले को पुन: यहां आने पर मजबूर करता है।
सुन्दर धर्मशाला का भी निर्माण भी किया गया है। सारी ब्यवस्था एक दम सुब्यवस्थित ढंग से कि गयी है। दूर दूर से लोग बाबा नागेश्वर नाथ के धाम में आते है।
क्षेत्र के लाखो लाख लोगों के आराध्य देव है नागेश्वर नाथ।नागेश्वर नाथ के बगल में मां सरस्वती,बजरंग बली ,मां दुर्गा एवं श्री लक्ष्मी नारायण के भी बहुत खुबसूरत मंदिर का निर्माण कराया गया है। बाहर में नंदी जी बिराजमान है। शिवरात्रि के दिन यहां मेला लगता है।
सावन मास में यहां पूरे महिने भजन किर्तन हवन पूजन जलाभिषेक दुग्धाभिषेक का कार्यक्रम चलता रहता है।आने वाले भक्तों के लिए पेयजल की भी बहुत सुन्दर ब्यवस्था की गयी है। नागेश्वर नाथ धाम के पिछे में स्थित सुन्दर सरोवर एवम बाग इस धाम की खूबसूरती में चार चांद लगाता है।पूरे धाम परिसर में सुन्दर पुष्प एवम बृक्ष लगाये गये है। नागेश्वर नाथ धाम का मुख्य द्वार भी बहुत खुबसूरत बनाया गया है।