
सीएम से शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग के टीम ने महादेव हास्पिटल को बता दिया 6 महीनो से बंद
गाजीपुर। सीएम से शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुक्रवार को सादात थाना क्षेत्र अंतर्गत महादेव हॉस्पिटल पर छापेमारी किया। लेकिन छापेमारी से पहले ही हास्पिटल संचालक को भनक लग गई और हास्पिटल बंद कर फरार हो गया।
सूत्रों की मानें तो सीएमओ आफिस से ही सूचनाएं लिक हो जाती है कि साहब आज यहां जा रहे हैं।
लेकिन आश्चर्य कि बात तो यह है कि सीएमओ ने रिपोर्ट लगाया कि एसीएमओ शिशिर शैलेश द्वारा जांच किया गया तो उन्होंने बताया कि महादेव हास्पिटल पिछले 6 महीनो से बंद है। अब जरा आप भी सोच सकते हैं कि स्वास्थ्य विभाग किस तरह हास्पिटल को बचाने का काम कर रहा है।
हैरानी की बात तो यह है कि सीएमओ आफिस के प्रमोद बाबू ने शिकायत कर्ता से कहां कि महादेव हास्पिटल पिछले 6 महीनों से बंद है। प्रमोद बाबू ने तो एक बयान ही उल्टा दे दिया जब शिकायतकर्ता ने कहा कि आप लोग किसी बड़ी घटना का इंतजार करते हैं जब घटना घट जाती है तब कार्यवाही करते हैं तो प्रमोद बाबू ने कहां कि बीएचयू में मरीज नहीं मरते हैं क्या? उसी दौरान शिकायतकर्ता ने कहा कि यह शब्द आप के मुंह से शोभा नहीं देता है। आपकी काल रिकार्ड हो रही है।
इस तरह से महादेव हास्पिटल आया चर्चा में-
ओड़ासन गांव निवासिनी पुष्पा बनवासी (25) पत्नी मनोज बनवासी जो एक बच्चे की मां है।वायरल वीडियो में पीड़ित ने आरोप लगाते हुए बताया कि मेरे पत्नी को अचानक बाथरूम के रास्ते से लैट्रिन होने लगा तो मनोज बनवासी ने महादेव हॉस्पिटल में दिखाया महादेव हॉस्पिटल के डॉक्टर ने कहा कि पच्चीस हजार रुपए में हम ठेका ले रहे हैं ठीक कर देंगे।
लेकिन ऑपरेशन के एक सप्ताह बाद भी हालत वही रहा तो महादेव हॉस्पिटल के संचालक ने इन्हें वाराणसी के किसी प्राइवेट हॉस्पिटल को बताया उन्होंने कहा कि मेरे भाई का हास्पिटल है। वहां जाइए आपका ऑपरेशन हो जाएगा लेकिन वहां जाने पर भी तीन बार ऑपरेशन हुआ पच्चास हजार रुपए लगा।
पुष्पा की हालत और सीरियस होती गई तो कहां जांच करवाने के लिए जांच के लिए पास पैसे नहीं थे बिना कागज बिना लिखा पड़ी इसको वापस कर दिए।
पीड़ित ने बताया कि घर चला आया फिर जाकर के महादेव हॉस्पिटल पर कहा कि आप हमसे पैसा लिए और हमारा मरीज ठीक नहीं हो रहा है हमारा इलाज कराओ या हमें पच्चास हजार रुपए दीजिए मैं जाकर इलाज कराता हूं तो अस्पताल संचालक ने धमकी देते हुए भगा दिया मैं तुम्हें पहचानता नहीं हूं। उन्होंने कहा कि जब पहचानते नहीं हो तो घर क्यों दौड़ रहे हो दबाव डलवा रहे हो धमकी दिलवा रहे हो ।
अब सोचिए कि अगर निजी अस्पताल में इस तरह मरीजो का शोषण होने लगेगा तो भला कौन इलाज कराने जायेगा।
कुछ दिनों पहले हास्पिटल संचालक का पक्ष जानने के लिए फोन किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
अब पीड़ित ने हास्पिटल संचालक पर दबाव बनाकर समझौता करने का भी गंभीर आरोप लगाया है।