गाजीपुर : जनपद के भांवरकोल ब्लाक क्षेत्र के पलिया स्थित हनुमान मंदिर पर अयोध्या धाम से पधारे महामण्डलेश्वर श्री श्री एक हजार आठ श्री शिवराम दास जी उपाख्य फलाहारी बाबा ने उपस्थित श्रोताओं को श्रीमद्भागवत कथा रूपी अमृत का पान कराते हुए कहा की भवसागर को पार करने के लिए श्रीमद् भागवत कथा सर्वोत्तम साधन है 84 लाख योनी में सर्वोत्तम योनी मनुष्य योनी और सबसे निकृष्ट योनी प्रेत योनि होती है।
प्रेतों के पीड़ा को भी नष्ट करने की शक्ति श्रीमद् भागवत कथा में होती है। मनसा वाचा कर्मणा से यदि भागवत कथा 7 दिन मन लगाकर सुनी जाए तो जीवा त्मा को मुक्ति मिलती है जो जीते जी मुक्त हो जाता है वही मरने के बाद भी मुक्त होता है ।मृत्यु से निर्भीक होना है मुक्त होना होता है।
श्री सुकदेव जी महाराज ने सातवें दिन जब परीक्षित से पूछा कि है परीक्षित तुम्हें कैसा लग रहा है तो परीक्षित ने कहा कि गुरुदेव अब मुझे मृत्यु से भय नहीं लग रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा रुपी अमृत अभयत्व देती है ।सुमन का अर्थ सुंदर मन और नमन का अर्थ षष्टांग दंडवत होता है अपने मन को भगवान के चरणों में अर्पित करना ही सुमन और नमन है सुंदर मन बनाने के लिए सुंदर संग और सत्संग की आवश्यकता होती है। नमन भी दो प्रकार का होता है एक स्वार्थ बस और स्नेह बस ।
दोनों परिस्थिति में श्यामसुंदर को ही नमन करना चाहिए भगवान से यदि स्वार्थ की पूर्ति होगी तो सच्चा स्नेह कभी न कभी हो ही जाएगा। जिसके पास सो स्वरूप स्वभाव और सामर्थ्य तीनों हो वह ईश्वर का विशेष प्रतिनिधि होता है सत चित आनंद सत्य की सत्ता ही नित्य शास्वत है जिसका कभी अभाव नहीं है ।
भगवान की तीन शक्तियां हैं लक्ष्मी जमुना और राधा कथा श्रवण से विचार शुद्ध होते हैं शुद्ध विचार होने पर क्रिया शुद्ध होती है और क्रिया शुद्ध होने पर जीवन विशुद्ध हो जाता है।
संकल्प में ही शक्ति छुपी होती है संकल्प यदि अचल अटल और अडिग होगा तो फल भी निश्चित रूप से प्राप्त होगा किसी भी परिस्थिति में संकल्प चलायमान और डिगयमान नहीं होना चाहिए। विषम से विषम परिस्थिति में संकल्प के अनुसार अनवरत क्रिया करते रहना चाहिए।
सफलता निश्चित रूप से प्राप्त होगी इसमें कोई संदेह नहीं है। सोमवार को कलश यात्रा का आयोजन किया गया।कलश यात्री गंगा तट पर पहुंचे और कलश में गंगा जल लेकर कथा स्थल पर वापस आये।इस मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भींड उपस्थित रहीं।